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प्रोफ़ाइल
भारत सरकार टकसाल, नोएडा, एसपीएमसीआईएल की इकाई, परिचालन सिक्कों के उत्पादन में कार्यरत है। यह आजादी के बाद स्थापित एकमात्र टकसाल है। टकसाल ने वर्ष 1988 में 2000 मिलियन सिक्कों की उत्पादन क्षमता के साथ नियमित उत्पादन प्रारंभ किया। देश के लिए स्टेनलेस स्टील सिक्कों का उत्पादन करने वाली यह प्रथम टकसाल है।
वित्त वर्ष 2016-17 में टकसाल ने 3,922 मिलियन नग परिचालन सिक्कों का उत्पादन किया तथा यह एसपीएमसीआईएल की सबसे ज्यादा लाभ अर्जित करने वाली टकसाल है। इस टकसाल में कोरे सिक्के बनाने की मशीनें नहीं हैं। कोरे सिक्के इसकी भगिनी टकसालों से खरीदे जाते हैं तथा उन पर मुद्रण (स्टांपिंग) कार्य इस टकसाल में किया जाता है। यह भारतीय रिजर्व बैंक के लिए रू.1, रू2, रू5 तथा रू 10 के मूल्यवर्ग के परिचालन सिक्कों का उत्पादन करती है।
यह टकसाल नोएडा, गौतम बुध नगर, उत्तर प्रदेशराज्य में दिल्ली की सीमा के पास स्थित है तथा इसकी कुल भूमि 14.09 एकड़ है।
संगठन संरचना
इतिहास
भारत सरकार टकसाल, नोएडा आजादी के बाद की अवधि में स्थापित की जाने वाली प्रथम टकसाल है तथा देश की यह चौथी टकसाल है। देश में मांग की सापेक्ष सिक्कों की आपूर्ति में कमी को पूर्ण करने के लिए वर्ष 1984 में भारत सरकार द्वारा नोएडा में 2000 मिलियन सिक्कों की वार्षिक उत्पादन क्षमता वाली नवीन टकसाल परियोजना स्थापित करने का निर्णय लिया गया था। भारत सरकार, वित्त मंत्रालय, आर्थिक कार्य विभाग द्वारा जनवरी, 1986 में कुल 30 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से प्रारम्भ की गयी यह योजना अपने निर्धारित समय में पूर्ण हुई तथा 01जुलाई, 1988 से इस टकसाल ने नियमित उत्पादन प्रारम्भ किया।
भारत सरकार टकसाल, नोएडा अपने समय की सबसे आधुनिक टकसालों में से एक है जिसमें देश में प्रथम बार शूलर, जर्मनी की क्वाइन प्रेसों द्वारा फेराइटिक स्टेनलेस स्टील सिक्कों का उत्पादन किया गया। निगमीकरण के पश्चात यह टकसाल 13.1.2006 से भारत प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड की इकाई के रूप में कार्यरत है।
देश के सिक्कों की घरेलू मॉंग की पूर्ति के अलावा, इस टकसाल ने दूसरे देशों जैसे थाईलैंड एवं डोमनिक गणराज्य के लिए भी सिक्कों का उत्पादन किया है। सिक्कों की बढ़ती मॉंग की पूर्ति के लिए टकसाल ने अप्रैल 2012 से रात्रि पारी में भी सिक्कों का उत्पादन प्रारंभ किया।
आधुनिकीकरण एवं स्वचालन
- डाइयों की मियाद बढ़ाने के लिए पीवीडी कोटिंग प्रणाली की स्थापना।
- बाहर से प्राप्त कच्चे सामान तथा बेची जानी वाली रद्दी के भार मापने के लिए 60 मीट्रिक टन की क्षमतायुक्त एक धर्मकाटा लगाकर कार्य प्रारंभ किया गया जिससे इस कार्य में लगने वाली श्रमशक्ति तथा समय में कमी आई है।
- छोटे मूल्यवर्ग के सिक्कों जैसे रू1 तथा रू 2 के सिक्कों की 100 सिक्कों की थैली में पैकिंग के लिए स्वयं पैकिंग प्रणाली लगाई गई जो पहले 2500 सिक्कों की थैली में पैक किए जाते थे। इससे भारतीय रिजर्व बैंक की सभी मूल्यवर्ग के सिक्कों को छोटी थैलियों में आपूर्ति करने की मॉंग पूरी हुई।
- ओइएम द्वारा स्केन सिक्कों की स्वयं थैली पैक करने वाली मशीन की पूर्ण क्षमता उपयोग के लिए मरम्मत की गई ।
- सीएनसी ग्राइंडिंग मशीन की खरीद कर स्थापना की गई।